डायबेसिटी यानि मोटापे का मधुमेह
डॉ. आर. के. मालोत
आज के आधुनिक समय में मोटापा महामारी की तरह फेलता जा रहा है विशेष कर शहरी क्षैत्रांे की महिलाऐं और वयस्को में मोटापा ज्यादा देखा गया हैं। आजकल स्कूली बच्चों में भी मोटापा रोग बन गया हैं। अधिकांश शहरी क्षैत्रों के स्कूली बच्चे फास्ट फुड़ और शितल पेय लेने के शोकिन हो गये है जिसके फलस्वरूप अनावश्यक कैलोरी चर्बी की तह के रूप में शरीर का आवरण बनती जाती हैं। मौटापा अब विश्व व्यापी समस्या बन चुका हैं। मौटापे में अनावश्यक चर्बी जमा रहने से मधुमेह की सम्भावना कई गुना बड़ जाती हैं। कई चिकित्सक मोटापे और मधुमेह को दो सगी बहनो की संज्ञा देते हैं। आजकल मेटाबोलिक रोग विशेषज्ञ मधुमेह यानि डायबिटिज और मोटापा यानि ओबेसिटी दोनों को एक साथ एक रोग के रूप में निरूपित करते है जिसे वे डायबेसिटी कहते हैं।
डायबिटिज ओबेसिटी डायबेसिटी
(DIABETES + OBESITY = DIABESITY)
डायबेसिटी इस शताब्दि का एक नया रोग के रूप में उभर आया है, जो मानव द्वारा ही आमन्त्रित किया गया हैं। यह बड़ी विडम्बना की बात है जिस देश में करोड़ो लोगों को दो जून रोटी नही मिल पाती है, कई लोग भूखे पेट ही मजबूरन सो जाते हैं। वहाँ खान-पान का रोग बड़ी संख्या में होना एक दुखद आश्चर्य हैं। भारत में 3-4 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित है जो विश्व के अन्य देशों की संख्या में काफी अधिक हैं। अब भारत को मधुमेह की विश्व राजधानी कहा जाने लगा हैं, कहा जाता है कि सन् 2020 तक मधुमेही रोगी की संख्या भारत में 7-8 करोड़ हो जायेगी।
मोटापे की वजह से एक रोग समूह उत्पन्न हो जाता है जिसे मेटाबोलिक रोग कहते हैं जिससें शरीर में केन्द्रिय मोटापा, उच्च रक्त चाप, शरीर में कालेस्ट्रेरोल और ट्रायग्लिसराइड की अधिकता, इन्सुलिन के प्रति शरीर में प्रतिरोधकता बन जाती हैं। इन सब के सम्मिलित रूप के कारण डायबेसिटी की सम्भावना प्रबल हो जाती हैं।
हमारे उदर के चारो ओर का घेरा जितना ज्यादा होगा उतना ही हदय और मधुमेह रोग जल्दी आ धमकते हैं। हमारे शरीर में जरूरत से ज्यादा चर्बी जमा रहने से शरीर में ग्लुकोस की मात्रा बढ़ती जाती हैं जिसे उपयोग लाने हेतु अग्नाशय से इन्सुलिन हारमोन नियमित अधिक मात्रा में स्त्रावित होता रहता हैं। लम्बे समय तक इन्सुलिन का अधिक और जरूरत से ज्यादा स्त्रवण से इन्सुलिन उत्पादन की बीटा कोशिकाए खाली हो जाती हैं और इन्सुलिन की लगातार कमी होती जाती हैं तथा कालान्तर में मोटे लोगो में डायबिटीस हो जाता है, जिसे हम डायबेसिटी कहते हैं।
कई महिलाओं में मोटापे की वजह से विवाह उपरान्त गर्भवती नही हो पाती है, उन महिलाओं के अण्डाशय से अण्ड आरोहण नही हो पाता हैं। मोटी महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है जिसका उपचार मात्र इन्सुलिन इन्जैक्शन ही हैं, ऐसी दुर्गम स्थिति में शिशु पर खराब प्रभाव पड़ता हैं। बच्चा प्रसव में दौरान मोटा पैदा होता हैं साथ ही लम्बे समय पर जल्दी ही मोटापे जन्य मधुमेह से ग्रसित हो सकता हैं।
हमारे उदर के चारो ओर का घेरा जितना ज्यादा होगा उतना ही हदय और मधुमेह रोग जल्दी आ धमकते हैं। हमारे शरीर में जरूरत से ज्यादा चर्बी जमा रहने से शरीर में ग्लुकोस की मात्रा बढ़ती जाती हैं जिसे उपयोग लाने हेतु अग्नाशय से इन्सुलिन हारमोन नियमित अधिक मात्रा में स्त्रावित होता रहता हैं। लम्बे समय तक इन्सुलिन का अधिक और जरूरत से ज्यादा स्त्रवण से इन्सुलिन उत्पादन की बीटा कोशिकाए खाली हो जाती हैं और इन्सुलिन की लगातार कमी होती जाती हैं तथा कालान्तर में मोटे लोगो में डायबिटीस हो जाता है, जिसे हम डायबेसिटी कहते हैं।
कई महिलाओं में मोटापे की वजह से विवाह उपरान्त गर्भवती नही हो पाती है, उन महिलाओं के अण्डाशय से अण्ड आरोहण नही हो पाता हैं। मोटी महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है जिसका उपचार मात्र इन्सुलिन इन्जैक्शन ही हैं, ऐसी दुर्गम स्थिति में शिशु पर खराब प्रभाव पड़ता हैं। बच्चा प्रसव में दौरान मोटा पैदा होता हैं साथ ही लम्बे समय पर जल्दी ही मोटापे जन्य मधुमेह से ग्रसित हो सकता हैं।
मोटापा और मधुमेह एक खतरनाक जुगल बन्दी है, इसके बचाव हेतु मोटापा न हो इस हेतु प्रयासरत होना आवश्यक हैं। शरीर पर जमा अनावश्यक चर्बी के आवरण को हटाना होगा, इस हेतु जीवन पद्धती में एक अनुशासनात्मक परिवर्तन लाना होगा, जिसमें व्यायाम, योग, भ्रमण, श्रमयुक्त कार्य, भोजन मंे कमी, खाने में कैलोरी नियन्त्रण से शरीर एकदम छर छरा और स्वस्थ्य हो सकता है तथा मोटापा समाप्त होने पर डायबेसिटी नामक रोग कभी भी पास फटक नही सकता हैं।